भीड़ और पत्थर

भीढ़ और पत्थर में नाता बहुत पुराना दोस्तों

इसलिये ज़रूरी हो गया ज़ुर्रत दिखाना दोस्तों

इक ख्वाब का परिणाम है चाँद पर भी पहुंचना

मिथहास को भी संभव है इतिहास बनाना दोस्तों

कोई तो उठे भीढ़ की मानसिकता के ख़िलाफ़

किसी को तो अब है यह सवाल उठाना दोस्तों

आसां नहीं है माना हमने अपने ही पैरों का सफ़र

ख़ुद को मगर है लाज़मी खुद से मिला

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