• बोझ बढ़ता जा रहा है ढो रहा है
• आदमी बस पीठ बन कर रह गया है
•
• जो यहाँ जिससे मिला उस सा हुआ है
• शख्सियत सबकी यहाँ पर गुमशुदा है
•
• खुद मुसीबत है ये खुद ही के लिए अब
• भीड़ बनकर भीड़ में इंसाँ दबा है
•
• है मुझे इसकी खुशी खुशियाँ नहीं हैं
• और ये गम है के हर गम सालता है
•
• कर दिया ज़ख़्मी हमीं ने मौसमों को
• वक्त पर बारिश अगर हो हादसा है
•
• जो यहाँ हैरान है हालात पर वो
• अब हमारी ही तरह बस सोचता है
•
• आज ये कॉफी बड़ी अच्छी लगी है
• ये तुम्हारे साथ का ही ज़ायका है
•
• प्यार का पौधा हुआ है बोनसाई
• दिल हमारा आज गमले मे उगा है
•
• रूह ‘आतिश’ की ठिठुरती जा रही है
• आँच बढ़ जाये ज़रा सी ये दुआ है