बहुत हुआ अपना घर बार , माँ का प्यार दुलार,
क्या हो गया ज़रा देश का हाल तो देखो,
क्या कर लेगा अकेला अन्ना , कहते थे सियासी गलियारे,
एक बुड़े ने बदल दी युवाओ की चाल तो देखो !
अपनी नसों के लहू को उबाल कर तो देखो,
खवाबो की चिता पर , अरमानो को ड़ाल कर तो देखो,
आसमा झुक सकता है , वक्त बदल सकता है ,
अपनी आँखों में सपनो को पाल कर तो देखो !
सत्ता के नशे में चूर कितना इन्सान तो देखो,
भ्रस्ताचार की अग्नि में जल रहा अरमान तो देखो ,
इरादों में होती है जीत , ताकतों में नहीं,
बूंद बूंद बढता , होसलो का तूफान तो देखो !!
सत्ताये पलट सकती है , तस्वीरे बदल सकती है,
भटके है रस्ते मगर, मंजिले अब भी मिल सकती है,
बदल कर अपनी चाल तो देखो
क्या हो गया ज़रा देश का हाल तो देखो !!!!!
Dinesh[Diin]