धडकनों का धडकना नहीं आसाँ , सांसो का चलना भी मुश्किल है !!
दिनेश गुप्ता [ दिन ]

धडकनों का धडकना नहीं आसाँ , सांसो का चलना भी मुश्किल है ,
रास्ते सब तय कर चले , मिलती नहीं क्यों मंजिल है !
फासलों ने कहा था होसलों से , गमो के सैलाब आएंगे राहों में ,
हम भी मगर लेकर चले थे , ज़ुनू अपनी निगाहों में !
हर पल में एक खता है , हर पल में एक मज़ा है ,
तडपना है फिर भी जीना है , इश्क करने की शायद यही सजा है !
योवन की मदहोशी , होठो की ख़ामोशी , तेरी हर एक अदा कातिल है ,
बिच मजधार में फँसी कश्ती , और कितनी दूर साहिल है !
धडकनों का धडकना नहीं आसाँ , सांसो का चलना भी मुश्किल है ,
रास्ते सब तय कर चले , मिलती नहीं क्यों मंजिल है !!!

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