आत्म सम्मान व मूल्यों को अपने
स्वंय दे हलाहल
कर अनुसरण –
अपने परिवेश की नारी का
नई परिभाषाओं से अलंकृत
स्वंय को बरगलाती
अर्थहीनता को जीने लगी -
वो भी
कई बार देखी
कृष्ण को कर तिरस्कृत
दुर्योधन के गले झूलती
“बेचारी द्रोपदी “