कविता — राम गौतम


गीत सब छंद- बंद, मोहे मन मंद- मंद,
गीत की गुहार चढी, कविता है जानिये,
भाव और भावुकता, उठे बार- बार कह,
प्रेम के प्रसंग संग, गीत सत्य मानिये,
लिखते रहें घनन, हम घनाक्षरी नित,
पर मात्राओं का रूप, कुछ जान लीजिये,
प्रथम भाव गौतम, गीत को सुधार कर,
लय- ताल भी सुधार, गुन-गुना लीजिये |

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