जीवन की महायात्रा—वैशाली भरद्वाज

अपने जीवन की महायात्रा में मैं ,
याद करता हूँ छोटी -छोटी यात्राएँ
जैसे किसी विस्तृत लेख में
लगी हो छोटी -छोटी मात्राएँ
लेकिन हर मात्रा का अपना मंतव्य है
जैसे हर यात्रा का अपना गंतव्य है
मात्राएँ लेख को रोकती जरूर हैं थोडा
पर बनाती हैं खूबसूरत ,पंक्तियों को जोड़ा
ऐसे ही हर घटना की यात्रा जीवन में
सुंदर लगी हो जैसे मात्रा जीवन में
घटनाएँ जो चलती हैं अपनी गति से
रास्ता लेती हैं एक अंजान मति से
ये छोटी -छोटी यात्राएँ जुडती जाती हैं
अपनी महायात्रा की ओर मुडती जाती हैं
भव्यता है हमारी ,हमारा विज्ञानं है
इनमे छिपा महायात्रा का सम्मानं है
ये उपासना है ,यही विश्वास है
ज|री रहे महायात्रा ,ये प्रयास है

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