सजन कुमार मुरारका
गुजरे हुवे कल पूछे कुछ ऐसे
कल अभी गुजरा कंहासे
फिर वापस आने की है जो बात
कल नहीं, आज भी हूँ साथ
हर एक कल मैं, आज समाया
हर एक कल ने, कल को बुलाया
खेल जो यह है आने जाने का
समझलो जीबन है इसी पैमानेका
जो बीत गया वह कल है
जो अभी बीता वह भी कल है
जो आनेवाला वह भी कल है
कालचक्रमें फंसा हर पल कल है
जीना है तो जीलो पल दर पल
कल वापस नहीं आयेगा
आज फिर कल हो जायेगा