कुछ कुछ


इस दुनिया में दिख रहे भाॅति भाॅति के लोग।
कुछ को कोई अमल है कुछ को कोई रोग।।1।।
कुछ सुख के कामी बने कुछ सुख को है देत।
कुछ दुःख देकर अन्य को अपने हैं सुख लेत।।2।।
कुछ ऐसे जन दिख रहे सुख दुःख रहें समान।
कुछ विपत्ति में भी हॅसे गाते सुख के गान।।3।।
सुख दुःख मन के भाव हैं बड़ी नही यह बात।
बातें ही सुख दुःख बनी बनी हर्ष आघात।।4।।
सद्विचार कुछ में मिले कुछ में मिली अनीति।
कुछ तड़पे हैं मीन अस दिखी दिव्य प्रतीति।।5।।
कुछ सावन के मेघ है कुछ दोपहरी जेठ।
कुछ है दान शिरोमणि कृपण बने कुछ ठेठ।।6।।
कुछ प्रेमी है राष्ट्र के कुछ प्रेमी निज मान।
कुछ प्रेमी है प्रेम के कुछ चाहे बस ज्ञान।।7।।
कुछ पोषी है अन्य के उदर से कुछ को प्रेम।
कुछ विश्वासी ईश के त्यागे कुछ और नेम।।8।।
कुछ कुछ को कुछ काम है कुछ कुछ काम विहीन।
कुछ कुछ काम करे नही बातें बस नमकीन।।9।।

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