मन

सजन कुमार मुरारका

 

 

 

आज मन हो गया उदास

कुछ नहीं,सिर्फ एहसास

कुछ भूली बिसरी यादें

मिलने बिछुढ़ने की बांते

टूटे हुवे स्वप्नों का ख्याल

लख्यहीन जीबन का हाल

अंतहीन समस्या का मायाजाल

कुछ नहीं,सिर्फ एहसास

बचपन बीता, बीत गई जवानी

अधूरी सी जिंदगी की अजब कहानी

आशांये टूटी, नित्य नई परेशानी

बेचेन मन को हो केसे बिश्वास

न छोढ़े उम्मीदे, जगाये नई आश

आज मन हो गया उदास

शाम होने को आई, दिखे काली रात

क्या सुनहरे स्वप्नों की होगी प्रभात

आज मन हो गया उदास

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