मंदिर के रबा

मंदिर में जब मै गया
वहाँ तू तो नहीं पाया
पत्थर कि उस मूर्ति में
सिर्फ रूप ही तो तेरा था
वहां रब तो किसी और को पाया !

तुझे कब से ढोल - नगाड़े भाने लगे रबा
कही तो हो गया है बहरा
या छुप ह्या किसी कोने में रबा
वो तेरा भक्त लाउडस्पीकर से तुझे बुला रहा था !
या फिर दुनिया को दिखा रहा था
वो पूजता है तुझे मेरे रबा !

जब भी मैने तुझको याद किया दिल से
मेरे को तो तुने सुनता ही पाया
फिर क्यों इनके प्रति बदल गया मेरे रबा
या फिर वो नही जानते
कण - कण में, उनके दिल में बसा है
उनका गुरु, अल्ला , मसीहा और रबा !!

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