“तीर-तुणीर चलावत तो हैं”
मोहनि मूरति मोद
भरी अरु चंचल नैन नचावत सोहैं.
जीवन संगिनि संग फिरैं हिय प्रेम प्रतीति लुटावत मोहैं.
आयु पचास के पार भई पर तीर-तुणीर चलावत तो हैं.
रीझत मोहत प्राणप्रिया मन नैनन प्यास बुझावत वो हैं.
"नैनन
आशिष भाव भरा"
नैनन आशिष भाव भरा
गुरु प्रीति प्रतीति यहाँ तो निराली.
शीश पे हाथ धरे गुरु
देखि यहाँ सब मोदित संत सवाली.
अंजलि बीच गहे चेरि नंदित देखि प्रसन्न भये गुरु माली
तैं दतियाँ दमकैं
दुति दामिनि ज्यों गुरुदेव कृपालु कराली..
“हिय नेह के भाव जगावति बेटी”
निज नैनन से अनमोल
लगे हँसि दामिनि दंत दिखावति बेटी.
लखि मंजुल बाल कमाल धमाल सुहावनि सीख सिखावति बेटी.
उर से उपजे अभिराम हँसी हँसि प्रीति प्रतीति लुटावति बेटी.
सखि संग उमंग तरंग लिये हिय नेह के भाव जगावति बेटी..