मत रो मेरी गुइयाँ !
चलना सीख रही सोनीरा
घर आँगन की गलियां
सिखा रहे हैं मम्मी पापा
थामें दोनों बहियाँ
आगे बढ़ने की कोशिश में
डगमग डगमग पैयां
जल्दी जल्दी आगे आओ
बुला रहीं हैं सखियाँ
बाज रहीं हैं छम छम छम छम
पग पग पर पैजनियाँ
पूसी लूसी लगीं खेलने
झटपट छूँछ बिलैयाँ
मन हीं मन खुश मम्मी पापा
लेते ढेर वलैयाँ
मुँह के बल गिर गयी अचानक
छूटीं दोनों बहियाँ
झटपट मम्मी लगी चुपाने
लेकर अपनी कनियाँ
दौडीं दौडीं सखियाँ आईं
मत रो मेरी गुइयाँ
डॉ. जयजयराम आनंद