मेरी भारत माता


यह भारत है प्यारे बच्चों भरत सिंह से खेल करें।
राष्ट्र एकता हर जन मे है सभी-सभी से मेल करंे।
अर्जुन अपने मोह को प्यारे गीता सुनकर दूर किया।
कृष्ण ज्ञान औ योग बताकर प्रेम सदा भरपूर दिया।
राम यहाँ मर्यादा अपनी जन-जन तक पहुॅचाते हैं।
प्रेम भक्ति से आतुर होकर शबरी के घर जाते हैं।
सीता सावित्री अनुसूया दिव्य नारियाँ होती हैं।
धन्य यहाॅ की पावन धरती प्यार बीज जो बोती है।
गाय यहाॅ पर माता होती दूध से पूजित नाग यहाॅ।
यहाॅ दशहरा दीवाली भी गाया जाता फाग यहाॅ।
वर्ष प्रतिपदा खुशहाली ले रोम-रोम में वास करें।
गंगा यमुनी सुखद छटा ले जन-जन जीवन हास करें।
यहाॅ बड़ों के पांव पूजकर शंख सबेरे बजता है।
दान ज्ञान सम्मान से सज्जित होकर जीवन सजता है।
धन्य हमारी भारत माता वन्दन बारम्बार करूँ।
धन्य धरा की पावन मिट्टी चन्दन सा श्रृंगार करूँ।
धन्य हमारे भारतवासी धन्य सुखद आगार प्रभो।
धन्य कहूॅ मै देवनागरी नन्द करे जयकार प्रभो।।

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