घनघोर कालि अमबस्या की रात
चांदनी को प्रतीक्षित है नई प्रभात
हर्षित मन, मन मे मधुमास
भरा उल्लास, मिलन की आश
दिन प्रतिदिन घटेगी कालिमा की लेश
पक्षकाल मे दूरी न रहेगी अबशेस
मिलन का सन्देश, होगी पूनम की रात
चाँदनी फैलेगी, गगन मैं रोशनी की बरसात
होने को है प्रभात, चांदनी हो गई उदाश
फैला सूरज का प्रकाश,बैरी हो गया आकाश
चाँद अब छिप जायेगा
दिन प्रतिदिन घट जायेगा
पक्षकाल मे मिट जायेगा
बिरह की कालि रात फैलाएगा
होगी अमबस्या की अँधेरी रात
न होगा मिलन, न होंगे चाँद चांदनी साथ
फिर जब होगी पूनम की तैयारी
चाँद निखरा, चांदनी निखरी
भुबन से आकाश तक बिखरी
चांदनी आज जो रुपमे संवरी
पुनमको फैली पुरे गगन में,
बिछुरकर, फिरमिलन की चाह मे
मैं बैठा सँजोए भाव मन में;
चाँद चांदनी का मिलन देख पूनम मे
:- सजन कुमार मुरारका