होता तुझ पर है नाज़ मुझे —बिजेंद्र एस. ‘मनु’


होता तुझ पर है नाज़ मुझे
मुझे भानु जैसा लगता है,
तेरा रूप रौब है आज मुझे I
आँखे मेरी चुंधियाती है,
होता तुझ पर है नाज़ मुझे II
सांस लिया था तो जग में,
खुशियों में बजे नगाड़े थे,
कही दुनिया न चुंधिया जाये,
वसन ढकी बिन जाड़े थे,
दुनिया को देकर श्रेष्ठ तेज,
मेरे प्यार पर आई लाज तुझे I
आँखे मेरी चुंधियाती है…….II
ज्यो-२ यौवन तेरा हुआ दास,
मिचती आँखे ज्यों तेज रवि,
कितने थे तब बने चकोर,
कुछ मजनूं गम में बने कवि,
भंवरा बन मैंने रस पिया,
पूर्ण पहनाकर ताज तुझे I
आँखे मेरी चुंधियाती है…..II
बुझते का यहाँ कोई मान नहीं,
ढलते भी तेरी होती पूजा,
तेरे इसी रूप से ग्रसित हूँ,
दुनिया में तेरे ना सम दूजा,
पूरण तुझ पर अधिकार सहित,
‘मनु’ समझे तेरा भाग मुझे I
आँखे मेरी चुंधियाती है…….II

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