सदियों से प्यासी है ये धरती , बादलो को जल बरसाना होगा
मेरी प्रीत की रित पर गीत प्रेम के गाना होगा
नाच रही है राधा कबसे , प्रेम धुनों पर
अब तो बांसुरी वाले कन्हैया को आना होगा
अब तो बांसुरी वाले कन्हैया को आना होगा
तोड़ के सरे ज़माने की बंदिशों को,तोड़ के सरे ज़माने की बंदिशों को
मेरी चाहत की इबादत पर एक रोज तुम्हे आना होगा
मेरी चाहत की इबादत पर एक रोज तुम्हे आना होगा
जो धरती की तपन में अगन हो , बादलो को जल बरसाना होगा
मेरी प्रीत की रीत पर , गीत प्रेम के गाना होगा
मेरी प्रीत की रीत पर , गीत प्रेम के गाना होगा
तोड़ के सारे ज़माने की बंदिशों को,तोड़ के सारे ज़माने की बंदिशों को
जो मेरी चाहत में इबादत हो, एक रोज तुम्हे आना होगा,एक रोज तुम्हे आना होगा