पूछ रहा हर मानव से


चेहरों पर अब यहाँ आब नहीं,
आँखों में कोई ख्वाब नहीं,
मांगो तो कोई जवाब नहीं,
पूछ रहा हर मानव से,

शक्ति भी लगा है हार गयी,
हर मुश्किल सबको मार गयी,
सब दुआ बदी अब पार गयी,
तू मुकरा मन भावन से,
पूछ रहा हर मानव से

आँखे चुन्धियाये अब जग में,
आशां -तारे ना अब नभ में,
आवाज प्यार ना अब लब में,
पाकर खोया सब सावन से,
पूछ रहा हर मानव से

ज्ञान नया आवाज नहीं,
धुन में बजता अब साज नहीं,
सच्चा प्रजा का राज नहीं,
तू हार गया है रावन से,
पूछ रहा हर मानव से

दीपक-चेहरे में तेल नहीं,
खुद के घर में है मेल नहीं,
मुश्किल जीवन कोई खेल नहीं,
जब मिलन हुआ तेरा दानव से,
पूछ रहा हर मानव से

§ बिजेंद्र एस. 'मनु'

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