अलमस्त सरोवर में
समा गयी चुपके से गंभीरता
मुझे क्या पता था -
इस सौन्दर्यमय सरोवर में भी
कुण्डली मरे बैठा सर्प ?
हाँ ! इसी `सर्प 'ने
समूचे सरोवर को जहरीला बना दिया
यह गाम्भीर्य ,मौन ,यह चुप्पी
शब्दहीन ,चेतनाहीन मृत्यु की निशानी
और यह सादगी
कफन की तैयारी
मेरी वाचालता इसे समझ पाती नहीं
देख पंकज कुमुदिनी
लालायित कर बढ़ जाते
सरोवर की ओर
पर ;वह ठनकता सर्प
ना बाबा! रख अपनी सुन्दरता
पता है हजारों को डस लिया
उफ़ ! क्या करूँ
इसी सर्प ने
समूचे सरोवर को
जहरीला बना दिया |