फ़सल पकी, मौसम गरमाया,
पिघली बर्फ़ भरीं जब नदियाँ,
गोरी ने कंगना खनकाया,
तब होली आई।
वसंत ऋतु के जाते जाते,
फूल झुलसने से पहले जब,
गोरी ने घूँघट जो उठाया,
तब होली आई।
अन्न से सब खलिहान भरे जब,
मन थोड़ा थोड़ा भरमाया,
गोरी ने झुमका जो गिरया,
तब होली आई।
वृक्षो़ं पर परिधान नये हैं,
प्रकृति के इन रगों मे जब,
गोरी ने रंग मिलाया,
तब होली आई।
नाम - बीनू भटनागर