अरे मूरख
आवाजें उठेंगी
तेग उठे न उठे
मशालें जलेंगी
मत भूल
जिनके हाथों को
तुम खाली करते हो
एक रोज़
ऐसे ही किसी खाली हाथ में
मशाल होगी
वही
खाली पेट रहने वाला शख्स
अपनी एक मशाल से
हजारों संतप्त लोगों को
रास्ता दिखाएगा...
...अपने अधिकारों के लिए
लड़ने वाला रास्ता
उस रोज़
वे
चीखेंगे,
चिल्लाएंगे
और तुमसे पूछेंगे
आखिर
भूखे रहने का वनवास
कब ख़तम होगा?
वही आहत लोग
जिनके पेट
कभी अघाते नहीं
वही जर्ज़र अतृप्त आत्मा
उस रोज़
तुमसे हिसाब मांगेगी
तब तुम क्या करोगे?
बलजीत सिंह