तब हमें पढाया जाता था
कि मंगोल बर्बर थे
…कि मुग़ल बर्बर थे
कि अँगरेज़ बर्बर थे
अब हमें दिखाया जाता है
शहर शहर मोहल्ले मोहल्ले
कि हमारी बर्बरता का तो सानी नहीं कोई
कि शर्मसार हैं हम अपने अतीत पर
अपने उपनिषदों पर ,बुद्ध पर, कबीर पर
जलते हुए घरों और सड़ती हुई लाशों के मध्यस्त
भारत मेरे का वर्तमान सभ्य हो रहा है