रंग बिरंगे सुमन सुगन्धित,
तितली भंवरे है अनुबन्धित।
खिली हुई हैं कुछ कलियाँ,
पंचम सुर मे चहकीं चिडियाँ।
आमो पर छाई अमराई,
कुहू कुहू कोयलिया गाई।
ऋत परिवर्तन का सदेशा,
तेज़ चमकती धूप ने भेजा।
मन भावन ये मौसम अतिथी,
कुछ दिन और रुको मेरे साथी।
जाकर शीघ्र न आ पाओगे,
पूरे वर्ष याद बहुत आओगे।
ऋतु परिवर्तन के ये घेरे,
समय चक्र मे बंधे घनेरे।
रोक सका है कौन इन्हे कब,
ऋतु बदलेगी घीरे धीरे अब।