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रचानाएँ आमंत्रित
जी चुका हूँ बहुत
उम्र तमाम नाकाम रहा
कौन जाने ?
गमों का दौड
दीवाना
दिल और जला ले मेरा
पैसा कभी पूरा नहीं हो पाता
अब तो आ जा रे मुसफिर