* युग को सच्चाई का दर्पण, हर युग में दिखाती चले कविता. दिल की दुनिया में पलती रहे, नव युग को बनाती पले कविता.. सूरज की किरणों संग जागे, शशि-किरणों संग ढले कविता. योगी, सौतन, बलिदानी में, बन मन की ज्वाल जले कविता