लड़के की बेरोज़गारी से वह तंग आ चुका था ... उसकी इच्छा थी कि कम-से-कम
रिटायरमेण्ट के पहले उसके बेटे की भी नोकरी लग जाती तो उसका भी बुढ़ापा चैन
से कट जाता। इसी ऊहापोह में था कि उसे नक्सलाइट से मुठभेड़ का सामना करना
पड़ा ... एक गोली उसके पैर में भी लग गई। उपचार हेतु अस्पताल में भर्ती
कराया गया ... दूसरे दिन मुख्यमंत्री जी उसे देखने अस्पताल आये व घायल
सिपाही के कारण उसे 5 हजार रूपये का चैक प्रेस फोटोग्राफरों के सामने देकर
चले गये, उसके कुछ साथी नक्सलाइट हमले के शिकार हो गये। दूसरे दिन अखबार
में खबर पढ़ने को मिली सरकार ने नक्सलाइट्स मुठभेड़ में मारे गये पुलिस
कर्मियों के परिवार वालों को 10-10 लाख अनुग्रह राशि व परिवार के एक सदस्य
को सरकारी नौकरी देगी तथा घायलों को 5-5 हजार की अनुग्रह राशि व उनका इलाज
का पूरा खर्च सरकार द्वारा बहन किया जायेगा।
खबर पढ़ते ही उसके मन से एकाएक निकल गया-वह इस हादसे में क्यों बच गया?