उस देश में दो राजनीतिक दलों का वर्चस्व था।
दोनों ही दल के प्रमुख देश के दो हिस्सों पर काबिज थे। फिर भी उन्हें यही लगता कि इस बार चुनाव में दल की स्थिति अच्छी नहीं रहेगी। छोटे-छोटे दल गठबन्धन करके शासक बन बैठेंगे। इस मुद्दे पर विचार-विमर्श के लिए दोनों प्रमुख दलों के शासक सिर जोड़कर विचार करने बैठे।
कुछ ही दिनों के बाद दोनों क्षेत्रों में जातीय संघर्ष छिड़ गया। सैंकड़ों लोग मारे गये और हजारों घायल हुए। सरकार और नेताओं ने जनता की भरपूर मदद की। उनको अनेक प्रकार के मुआवजे दिये।
एक बार फिर वे चुनाव में बहुमत हासिल करने में सफल हुए। जनता एक बार फिर उनकी चालाकी समझने में नाकाम रही।