बात सचमुच में निराली हो गईं

अब नसीहत यार गाली हो गई

ये असर हम पर हुआ इस दौर का

भावना दिल की मवाली हो गई

डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां

वो समझ पूजा की थाली हो गई

तय किया चलना जुदा जब भीड़ से

हर नज़र देखा, सवाली हो गयी

कैद का इतना मज़ा मत लीजिये

रो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी

थी अमावस सी हमारी ज़िन्दगी

मिल गये तुम, तो दिवाली हो गयी

हाथ में क़ातिल के ‘‘नीरज’’ फूल है

बात अब घबराने वाली हो गई

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