एक ही दिन में देश के तीन दिग्गज जानकारों को स्पिक मैके आन्दोलन के
बैनर तले आयोजित श्रृद्धांजली सभा के बहाने याद किया गया.तीस जनवरी,रविवार
की शाम चित्तौड़गढ़ शहर के गांधी नगर स्थित अलख स्टडीज़ शैक्षणिक संस्थान
में आपसी विचार विमर्श और ज्ञानपरक वार्ता के ज़रिए राष्ट्रपिता महात्मा
गांधी,भारत रत्न स्व. पंडित भीमसेन जोशी के साथ ही शनिवार को ही दिवंगत हुए
किराना घराना गायक श्रीकांत देशपांडे को हार्दिक श्रृद्धांजली दी गई.आयोजित
सभा के सूत्रधार 'अपनी माटी' वेब पत्रिका के सम्पादक माणिक ने विषय का आधार
रखते हुए महात्मा गांधी के हित रामधारी सिंह दिनकर की लिखी कुछ कविताओं का
पाठ किया.बाद में कविताओं के अर्थ भी बहुत देर तलक विमर्श का हिस्सा रहे
प्रमुख वक्ता के रूप में वरिष्ठ अधिवक्ता भंवर लाल सिसोदिया ने इस अवसर
पर गांधी दर्शन को आज के परिप्रेक्ष में किस तरह से अपनाया जा सकता है पर
विचार रखे.देश की आज़ादी के पहले से लेकर बाद के बरसों में गांधी दर्शन की
ज़रूरत पर कई बिन्दुओं से विचार विमर्श हुआ.सिसोदिया ने कहा कि गांधी ने
अपने काम के ज़रिए वर्ण व्यवस्था पर बहुत पहले से प्रहार करना शुरू कर दिया
था. आज समाज में समानता और स्त्री अधिकारों की बातचीत का जितना भी माहौल बन
पाया है, ये उसी विचारधारा की देन हैं. गांधी की दूरदर्शिता में ग्राम
स्वराज्य का सपना उनके प्रमुख और लोकप्रिय ग्रन्थ 'हिंद स्वराज' के पठन से
भलीभांती समझा जा सकता है.सिसोदिया ने वर्ष में एक बार किसी आश्रम में
पांच-छ; दिन का समय बिताने पर भी जोर दिया और कहा कि उन्होंने भीमसेन जोशी
को भी देवधर आश्रम,मुंगेर,बिहार में ही लगातार सात दिन तक सुना था,जो आज तक
अदभुत और यादगार क्षण लगता है.
एच.आर. गुप्ता ने अपने उदबोधन में अपने बाल जीवन से ही स्वयं सेवा के
आन्दोलन में मिले अनुभव बताते हुए गांधीवादी विचारकों के साथ की गई संगत को
याद किया.उन्होंने यहाँ-वहाँ विचार-विमर्श की जुगाली करते रहने के बजाय
अपने घर से विचार और कर्म में समानता लाने की पहल पर जोर दिया.
सभा के दूजे सत्र में सेवानिवृत प्रशासनिक अधिकारी एस.के.झा ने लब्ध
प्रतिष्ठित गायक भीमसेन जोशी पर अपना विस्तृत पर्चा पढ़ा.उन्होंने उनके गाए
भजन,अभंग और रागों के बारे में अपने अनुभव सुनाए.साथ ही झा ने संगीत को
सुनने और समझने के लिए लगातार अच्छी संगत की ज़रूरत व्यक्त की.गुरु शिष्य
परम्परा की बात पर संगीत प्राध्यापिका भानु माथुर ने भी अपने महाविद्यालयी
जीवन के बहुत से अनुभव सुनाए.इस आयोजन में मुकेश माथुर.सामजसेवी नित्यानंद
जिंदल और युवा फड़ चित्रकार दिलीप जोशी ने भी अपने विचार रखे.अंत में स्पिक
मैके संस्था समन्वयक जे.पी.भटनागर ने आभार ज्ञापित किया. दिवंगत आत्माओं के
लिए मौन रख रखने के बात सभा पूरी हुई.
आदर सहित,
माणिक