अब हिंदी माध्यम से कीजिए विदेशी भाषा- स्पेनिश, चीनी, जापानी के
पाठ्यक्रम
@ हिन्दी- भारत
जापानी भाषा के विद्वान एवं कवि अकियो हागा महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय
हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में प्रोफेसर के पद पर हाल ही में नियुक्त हुए
हैं। वे विश्वविद्यालय में जापानी भाषा के विद्यार्थियों को पढायेंगे।
ज्ञातव्य है कि विश्वविद्यालय में भाषा विद्यापीठ के अंतर्गत पहली बार
हिंदी माध्यम से चीनी, स्पेनिश, जापानी भाषा में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा व
एडवांस्ड डिप्लोमा के पाठ्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं।
जापान से आए अकियो हागा ने बताया कि कुलपति विभूति नारायण राय ने पिछले
वर्ष सितम्बर में जापानी भाषा पढ़ाने के लिए बुलाया था लेकिन निजी व्यस्तता
के कारण मैं नहीं आ सका। हाल ही में जापान में ज़ोर के भूकंप से मेरे घर के
मिट्टी की दीवार गिर पड़ी और घर के समीप ही फुकूसीमा परमाणु शक्ति बिजलीघर
बिगड़ गया जिससे वहाँ विकिरण निकलने लगे तो कुलपति महोदय ने मुझे परिवार के
साथ यहाँ जापानी भाषा पढ़ाने के लिए बुला लिया। मैं ऐसे संवेदनशील कुलपति
राय को नमन करता हूँ ।
उर्दू, जापानी, हिंदी, फारसी व अरबी भाषा के विद्वान के रूप में प्रसिद्ध
अकियो हागा ने जापान के 9 वीं सदी में लिखी गई कहानी ताकेतोरी मोनोगातारी
(बांस काटने वाले की कहानी) को आधुनिक जापानी व हिंदी में अनुवाद कर हिंदी
पाठकों के बीच अपनी जगह बनायी। टोक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज से
एम.ए. करने के उपरांत वे ‘गूंजो’ नामक पत्रिका का संपादन करने लगे और
उन्होंने समाज के झंझावातों से जूझने के लिए कलम को हथियार बनाया। यही कारण
है कि उन्होंने जापानी साहित्य का अनुवाद कर हिंदी समाज को जापानी साहित्य
व संस्कृति से परिचय कराया। वे जापान में भारतीय संस्कृति से अवगत कराने के
लिए अजीब संस्कृति से मुलाकात-शाश्वत गंगा नदी पर राष्ट्रीय टेलीविजन चैनल
एनु एच पर कार्यक्रम की प्रस्तुति देते रहे।
06 व 09 अगस्त, 1945 को हिरोसीमा व नागासाकी में अमेरिका द्वारा गिराए गए
परमाणु बम से हुए नुकसान का जिक्र करते हुए अकियो हागा ने कहा कि हम आज भी
दहशत में हैं। अभी हाल ही में मेरे घर के पास फुकूसीमा में अमेरिका ने
परमाणु बिजली संयंत्र लगाया जो कि मेल्टडाउन हो गया है और वहाँ से रेडियो
एक्टिव पदार्थ निकल रहे हैं। जमीन पर रेडियो विकिरण बहुत ज्यादा हो गया है।
बच्चे खेलने के लिए बाहर निकलते हैं तो वे इसकी चपेट में आ जाते हैं, बच्चे
अपाहिज व मानसिक रूप से विक्षिप्त हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि जापान में
आम जनता बेहाल हैं, वहाँ की सरकार अमेरिकी सरकार के आगे नतमस्तक हैं।
परमाणु बम गिराने के बाद से ही जापान की सरकार डरी हुई है, यही कारण है कि
अमेरिका द्वारा परमाणु बिजली संयंत्र लगाने का विरोध व इन्कार नहीं कर रही।
नतीजा है कि फुकूसीमा में हो रहे विकिरण से 1945 की घटना की याद तरोताजा हो
गई है।
भारतीय संस्कृति पर चर्चा करते हुए अकियो हागा भावुक हो गए और कहा कि यहाँ
की संस्कृति मुझे इतनी भाती है कि मैं विभिन्न कार्यों से भारत करीब सौ से
ज्यादा बार आ चुका हूँ। अगर पूर्वजन्म व पुर्नजन्म में विश्वास हो तो मैंने
पहले भी भारत में जन्म लिया होगा और उपर वाले से दुआ करूंगा कि मेरा
पुर्नजन्म भारत में ही हो।
प्रोफेसर के रूप में नियुक्त होने पर अकियो हागा को विश्वविद्यालय के
अधिकारियों, शैक्षणिक, गैर-शैक्षणिक कर्मियों व विद्यार्थियों ने बधाई दी
है।