नई दिल्ली। दिल्ली में पड़ रही जबरदस्त ठण्ड के बावजूद हमेशा की तरह इस बार भी पश्चिम दिल्ली की जनकपुरी के साहित्य कला परिषद सभागार में देश-विदेश से पधारे विद्वानों ने भारतीय संस्कृति को समृद्ध बनाने का संकल्प भी लिया। अवसर था साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था राष्ट्र-किंकर द्वारा आयोजित संस्कृति सम्मान समारोह का। समारोह के मुख्य अतिथि गुजरात से पधारे स्वामी डॉ. गौरांगशरण देवाचार्य तथा दिल्ली के महापौर श्री पृथ्वीराज साहनी ने संस्कृति सम्मान प्रदान करते हुए भारतीय संस्कृति के विश्वव्यापी प्रभावों की चर्चा करते हुए उसे सर्वाधिक वैज्ञानिक बताया। उन्होंने युवाओं विशेष रूप से बढ़ते बच्चों पर विशेष ध्यान देने पर बल दिया। समारोह के अध्यक्ष अंतर्राष्ट्रीय ख्यााति के सिद्धहस्त शिल्पी श्री गिर्राजप्रसाद एवं विशिष्ट अतिथि दिल्ली सरकार की भोजपुरी अकादमी के माननीय सदस्य प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. रमाशंकर श्रीवास्तव व आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री ने अपने विशिष्ट अंदाज में स्वयं को तथाकथित मार्डन घोषित करने वालो तथा मीडिया के एक वर्ग द्वारा सांस्कृतिक प्रदूषण फैलाने की आलोचना करते हुए देश के बुद्धिजीवी वर्ग से सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की। इससे पूर्व गायत्री परिवार की शाखा भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के प्रदेश संयोजक श्री खैराती लाल सचदेवा ने प्रतिकूल मौसम के बावजूद देश के कोने से कोने से पधारे सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्था के साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यों की जानकारी दी।
राष्ट्र-किंकर एवं भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा की ओर से हर वर्ष मकर-संक्रांति के अवसर प्रदान किए जाने वाले संस्कृति सम्मान वैदिक विद्वान प्रो. डा. सुन्दरलाल कथूरिया, सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. देवेन्द्र आर्य, डा. शरदनारायण खरे, गुजरात के महंत सुनीलदास, शिलांग के डॉ. अकेला भाई, छात्र शक्ति के श्री दिनेश शर्मा, सेवा भारती के श्री ओमप्रकाश मिश्र, साहिबगंज के श्री सत्येन्द्र पाण्डेय को प्रदान किया गया। दिल्ली में भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा में सर्वाधिक भागीदारी करने वाले तीन विद्यालयों मोहनगार्डन के कमल मॉडल स्कूल, हस्तसाल के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय तथा नागलोई के डी.एस.एम.सी.सै.स्कूल को यह सम्मान प्रदान किया गया। नोएडा के श्री ओ.पी.मुंझाल, झुंझुनू के डॉ. भरतसिंह प्राची, दिल्ली की श्रीमती सुषमा भंडारी, देवबंद के लोकेश वत्स और विजेन्द्र कश्यप, मेरठ के फ़ख़रे आलम को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए साहित्य किंकर सम्मान तथा पत्रकार श्री ओमवीर सिंह को पंचवटी पत्रकारिता सम्मान से अलंकृत किया गया। समारोह के दौरान राष्ट्र-किंकर द्वारा दिल्ली के सर्वश्री अखिलेश द्विवेदी, किशोर श्रीवास्तव एवं देवबंद के डा. शमीम देवबंदी को विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर द्वारा प्रदत्त भाषा रत्न सहित विभिन्न मानद उपाधियों से भी सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर एक कवि सम्मेलन का आयोजन भी किया गया जिसमें अपनी काव्य
रचनाओं व हास्य से समा बांधाने वालों में सर्वश्री महेन्द्रपाल काम्बोज,
श्रीगोपाल नारसन (रूड़की), डा. सुरजीत सिंह जोबन,, श्रीमती सुषमा भंडारी,
नंदलाल रसिक, रशीद सैदपुरी, श्रीमती शोभा रस्तौगी एवं किशोर श्रीवास्तव
(दिल्ली) आदि प्रमुख थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीपयज्ञ के पश्चात रेड रोज पब्लिक स्कूल रामापार्क के नन्हें-मुन्ने बच्चों द्वारा वंदेमातरम् से हुआ। कार्यक्रम का अत्यन्त रोचक, ज्ञानवर्द्धक व मनोरंजक संचालन राष्ट्र-किंकर के संपादक श्री विनोद बब्बर ने किया और इसमें उनका साथ दिया योगकिंकर के संपादक दर्शनकुमार एवं यथासंभव के मुनीष गोयल ने। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए श्री अम्बरीश कुमार ने मकर संक्रांति के ऐतिहासिक-पौराणिक महत्व की जानकारी दी। उन्होंने भीष्म पितामह द्वारा उत्तरायण की प्रतीक्षा, स्वामी विवेकानंद के जन्म, मुक्तसर पंजाब के गुरु गोविंद सिंह से जुड़े प्रसंगों की चर्चा कर खचाखच भरे सभागार को रोमांचित कर दिया। सुप्रसिद्ध फोटोग्राफर श्याम प्रसाद ने पिछले वर्ष के समारोह का एक दुर्लभ चित्र कार्यक्रम संयोजक विनोद बब्बर को भेंट किया।