मुम्बई की वरिष्ठ साहित्यकार, डा० श्रीमती तारा सिंह को उनकी अभूतपूर्व
एवं उच्च स्तरीय हिन्दी साहित्य सेवा तथा उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए
हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग द्वारा, ९ एवं १० मई २०१० को आगरा में
आयोजित, विशेष शताब्दी समारोह में ’साहित्य महोपाध्याय’ की सर्वश्रेष्ठ
मानदोपाधि से सम्मानित किया गया । सभाध्यक्ष, डा० भगवती प्रसाद देवपुरा और
उपसभापति, डा० बिपिन बिहारी ठाकुर के कर कमलों,श्रीमती सिंह को प्रशस्ति
पत्र, शाल एवं बैग आदि प्रदान किये गये । संस्था के प्रधान मंत्री,परम
आदरणीय डा० श्री श्रीधर शास्त्री जी की ओर से श्रीमती सिंह के नाम चार
पृष्ठीय सचित्र साहित्यिक जीवन-वृत्त , सभासदों तथा साहित्यकारों के बीच
सादर वितरण कर,उस दिन को यादगार बना दिया गया ,जो जन्म–जन्मांतर तक श्रीमती
सिंह के नाम के साथ स्वर्णिम अक्षरों में जुड़ा रहेगा ।
२ मई २०१० को साहित्यिक,सांस्कृतिक कला संगम अकादमी द्वारा परियावाँ में
आयोजित, २९ वें भाषाई एकता सम्मेलन के अवसर पर श्रीमती तारा सिंह को उनकी
अद्वितीय साहित्य –साधना एवं उत्कृष्ट रचना धर्मिता के लिए ’कबीर सम्मान’
से अलंकृत किया गया । श्री सुरेश चन्द्र श्रीवास्तव,भूतपूर्व न्यायाधीश,
इलाहाबाद उच्च न्यायालय और श्री रामचन्द्र शुक्ल ,भूतपूर्व जिला सत्र
न्यायाधीश, एटा के हाथों श्रीमती सिंह को प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिह्न एवं
शाल द्वारा विभूषित किया गया ।
बहुआयामी लेखनी के धनी, श्रीमती तारा सिंह को उनकी सुदीर्घ हिन्दी साहित्य
सेवा हेतु साहित्यांजलि सामा० साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थान इलाहाबाद
द्वारा ’श्री बजरंग साहित्य सम्मान’ ;, भारतीय वाड़्मय पीठ ,कोलकाता द्वारा
’रवीन्द्रनाथ ठाकुर सारस्वत साहित्य सम्मान’ ; तारिका मंच , प्रयाग द्वारा
’सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान’ तथा साहित्यांजलि प्रभा, इलाहाबाद द्वारा ’
साहित्य पद्म सम्मान’ से विभूषित किया गया । श्रीमती सिंह को अब तक १५९
विभिन्न राष्ट्रीय / अन्तर्राष्ट्रीय संस्थानों द्वारा सम्मानित / पुरस्कृत
किया गया है और उनकी २३ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं ।
डा० बी० पी० सिंह
नवी मुम्बई