डा० तारा सिंह को महाकवि मानदोपाधि

tsingh kavi manopadhi

विक्रमशिला हिन्दी विद्यापी्ठ, गांधीनगर भागलपुर द्वारा १३-१४ दिसम्बर, २०११ को मौनतीर्थ आश्रम, उज्जैन में आयोजित, सोलहवें राष्ट्रीय सारस्वत समारोह में प्रवीण साहित्यकार एवं स्वर्गविभा की संस्थापिका ,डा० श्रीमती तारा सिंह , नवी मुम्बई को उनकी सुदीर्घ हिन्दी सेवा तथा अभूतपूर्व उपलब्धियों के लिये ’ महाकवि मानदोपाधि ’ से अलंकृत किया गया । श्रद्धेय डा० तेजनारायण कुशवाहा , वर्तमान कुलपति, विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ के कर कमलों, श्रीमती सिंह को शाल, प्रतीक चिह्न व प्रशस्ति- पत्र भव्यता पूर्वक प्रदान किया गया ।

इसी वर्ष विकिपीडिया द्वारा डा० श्रीमती तारा सिंह द्वारा लिखित आत्मकथा- लेख को डेढ़ लाख हिन्दी वेबसाइटों पर प्रकाशित लेखों में सर्वश्रेष्ठ लेख घोषित किया गया तथा उनकी आत्मकथा पर, एक पुस्तक ’ TARA SINGH—AUTHOR’ ,अमेरिका की सुप्रसिद्ध प्रकाशन संस्था , बार्न्स व नोवुल ( निऊ जर्सी ) द्वारा प्रेस के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष में प्रकाशित किया गया ; जिसकी बिक्री ( मूल्य – $ 48 ) देश—विदेश में जोरों पर है । हम विकिपीडिया के आभारी हैं ।

इसी बीच डा० सिंह को उनकी प्रशंसनीय हिन्दी साहित्य सेवा हेतु राष्ट्रवीर महाराज सुहेलदेव ट्रस्ट जबलपुर द्वारा ’कविकुल-रत्न सम्मानोपाधि- २०११’ ; शवनम साहित्य परिषद , सोजत सिटी ( राज ० ) द्वारा ’ निज़ाम उस्ताद सम्मान-२०११’ ; विमल साहित्य सदन, मथुरा द्वारा ’सचिव शेषकुमार विमल स्मृति सम्मान’; राजा हरिचंद कला –क्रीड़ा प्रतिष्ठान, पुणे द्वारा ’राष्ट्रीय एकात्मता पुरस्कार –२०११’ ; पीयूष साहित्य परिषद, पटना द्वारा ’ कविता भूषण सम्मान- २०११’ से विभूषित किया गया । अब तक डा० श्रीमती सिंह , २०० राष्ट्रीय / अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित / पुरस्कृत हो चुकी हैं ।

डा० बी० पी० सिंह

अध्यक्ष,स्वर्गविभा

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