SAMIKSHA BY ALKA SAINI
"बंद कमरा" उपन्यास का हिंदी अनुवाद दिनेश माली जी का सर्वश्रेष्ठ
अनुवाद है . सरोजिनी साहू जी के उड़िया उपन्यास "गंभीरी घर " के हमारी मातृ
भाषा हिंदी के इतने खूबसूरत अनुवाद को हम तक पहुंचाने का सारा श्रेय जाने
माने प्रकाशक "राज पाल एंड संज" को जाता है जिन्होंने दिनेश जी की काबलियत
को पहचाना . इससे पहले भी राज पाल एंड संज से उनका अनूदित कहानी संग्रह "
रेप तथा अन्य कहानियाँ 'छप चुका है . दिनेश जी के अनुवाद की एक- एक पंक्ति
और ख़ास कर कविताएँ तो भावनाओं से इस तरह से ओत प्रोत हैं जैसे एक- एक शब्द
उन्होंने उपन्यास को महसूस करके लिखा है .
सरोजिनी साहू जी एक नारीवादी लेखिका हैं . इस उपन्यास में उन्होंने बहुत ही
खूबी से औरत के मन की छुपी हुई भावनाओं को व्यक्त किया है कि कैसे शादी के
बाद कदम- कदम पर औरत कभी बीवी ,कभी बहू और कभी माँ बनकर अपने आप की बलि
देती चुप चाप सब सहती रहती है . यह उपन्यास विवाह उपरान्त एक औरत के मन में
प्रेम की इच्छा के तहत उठती हुई तरंगो को दर्शाता है परन्तु आज के समाज में
भी इसे आलोचना की दृष्टि से देखा जा सकता है . भारतीय समाज में जहाँ शादी
एक ऐसा बंधन माना जाता है जिसमे औरत पर परोक्ष रूप से तो अंकुश माना जाता
ही है एवं उसके मन, उसकी भावनाओं पर भी अंकुश लगा दिया जाता है . अगर कोई
औरत अपने पति से वह प्यार नहीं पा सकती जिसको पाना हर औरत चाहती है तो उसका
मन किस प्रकार विचलित रहता है जिसके बारे में कई बार वह खुद भी नहीं जान
पाती . जैसे कुछ साल पहले करण जोहर फिल्म निर्देशक की फिल्म "कभी अलविदा ना
कहना" काफी आलोचनाओं का शिकार हुई . आज के युग में भी शादी के बाद के प्यार
को काफी संकीर्ण नजरों से देखा जाता है इसलिए काफी कम लोगों ने इस विषय पर
फिल्म बनाने या लिखने की हिम्मत जुटाई . और यह आज के समाज में एक प्रश्न
चिन्ह भी छोड़ता है कि एक औरत के लिए कहाँ तक जायज है अपनी इच्छाओं का दमन
करना ? पर समय काफी तेजी से बदल रहा है . अगर शादी के बाद पति- पत्नी एक
दूसरे से संतुष्ट नहीं तो क्या उन्हें दूसरा मौका नहीं मिलना चाहिए . प्यार
के बिना किसी रिश्ते को घसीटना तो एक समझौता ही कहलाता है . लेखिका ने इस
विषय को काफी बेबाकी से लिखा है कि प्यार किसी भी बंधन फिर चाहे वो विवाह
का हो, देश का हो, धर्म का हो या जाति का हो किसी को नहीं मानता . हमारे
धार्मिक इतिहास में भी श्री कृष्ण जी का रुक्मणी के साथ विवाह होने के
उपरान्त भी राधा से प्रेम दिखाया है . लेखिका ने एक जगह पर नायिका के मन की
स्थिति दर्शाई है जहाँ वह मन ही मन अपने पति से कहती है कि " बेबी" जैसे
छोटे से शब्द के संबोधन में कितना अपार प्रेम और दो जहान का सुख समाया है
जिसे उसका पति नहीं जान पाता और ना ही वह उसे अपने मन की बात खुल कर कभी कह
पाती है . लेखिका ने इस उपन्यास में यही दिखाने की कोशिश की है कि औरत
कितनी भावुक और संवेदन शील होती है . प्रेम एक बहुत ही पवित्र बंधन है जो
कि दो आत्माओं का मिलन होता है और जिस्म की परिभाषा से काफी ऊपर उठ जाता है
. मीरा ने विवाह उपरान्त कृष्ण जी से प्रेम किया था और जब प्यार असीम हो
जाता है तो भक्ति का रूप ले लेता है . उपन्यास में भी यही दिखाया गया है कि
नायक जो कि बहुत सी औरतों को भोग चुका होता है नायिका के अपने जीवन में आने
से अपने अन्दर एक अजीब सा बदलाव महसूस करता है जबकि वो दोनों कभी मिले नहीं
होते और वह नायिका को अपनी देवी मानने लगता है . यही तो प्रेम की परकाष्ठा
मानी जाती है जबकि आजकल लोगों ने प्रेम को जिस्म तक सीमित करके प्रेम का
स्तर नीचे गिरा दिया है . ऐसे उपन्यास से आभास होता है कि प्रेम कितना
अद्भुत होता है उसका अहसास इंसान को किस कदर हजारों मील दूर से भी महसूस
होता है . इस उपन्यास को पढ़ते- पढ़ते मुझे मनु भंडारी जी की कहानियाँ याद
आ गई जिन्होंने प्यार के बारे में काफी गहराई से लिखा है . इनकी कहानियाँ
"यह सच है" , "स्त्री सुबोधिनी" , "एक बार और" में उन्होंने औरत को काफी
भावुक प्रवृति की दिखाया है और प्यार को पाने के लिए वह किसी भी हद तक चली
जाती हैं . उन्होंने आदमी का रूप काफी नकारात्मक दिखाया है कि औरत काफी बार
आदमी के हाथों इस्तेमाल होती है और बेवकूफ बन जाती है . यहाँ उन्होंने शादी
शुदा आदमी के स्वार्थ को दिखाया है कि आदमी प्यार तो करना जानता है पर उसमे
इतनी हिम्मत नहीं होती कि वह अपनी शादी को दाव पर लगा कर किसी औरत को जिसे
वो प्यार करने का दम भरता है अपनाने की हिम्मत नहीं रखता . औरत जबकि प्यार
के लिए काफी खतरा उठा लेती है वहीँ आदमी काफी प्रैक्टीकल होते हैं जो कि
प्यार भी काफी नाप तोल कर करते है .
इसके विपरीत इस उपन्यास में लेखिका ने एक शादी शुदा आदमी के आध्यात्मिक,
अद्भुत प्रेम को दिखाया है और एक शादी शुदा औरत भी उस प्रेम को पाकर अपने
आप को एक अलग ही दुनिया में महसूस करती है क्योंकि अगर उसे विवाह उपरान्त
पूरा प्यार नहीं मिलता तो प्यार पाने के लिए वह किस कदर नदी की तरह बहती
चली जाती है .
Written By : Sarojini Sahoo
translated by Dinesh kumar Mali
Price : INR 150/-
Format : Paperback
ISBN : 978 81 7028 954 8
Published by Raj Pal &sons