जीवन परिचय
जन्म-एक जुलाई,उन्नीस सौ अस्सी
चित्तौडगढ;;राजस्थानद्ध
एम.ए. (इतिहास) और बी.एड.
अपनी माटी वेब पत्रिका ; www.apnimaati.com संस्थापक संचालनकर्ता
खुद का ब्लॉग माणिकनामा ; www.maniknaamaa.blogspot.com
ऽ पुस्तक प्रकाशन- अभी तक नहीं
ऽ आलेख,संस्मरण और कविताओं का आकाशवाणी चित्तौडगढ और उदयपुर केंद्र से
प्रसारण
ऽ क्षेत्र के समसामयिक,सांस्कृतिक आयोजन की समीक्षा और लेखन
ऽ अपनी माटी वेब पत्रिका ; का नवम्बर दो हजार नौ से सम्पादन
ऽ मुख्य विधाएं कविता,संस्मरण,व्यंग्य और रिपोर्ताज लेखन
औपचारिक दायित्व
ऽ नैमेत्तिक उद्घोषक,आकाशवाणी,चित्तौडगढ
ऽ अध्यापक,राजस्थान सरकार
ऽ सम्पादक,अपनी माटी
ऽ राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य ,स्पिक मैके
सदस्य-
ऽ संभावना,चित्तौडगढ
ऽ सरोकार,चित्तौडगढ
ऽ मीरा स्मृति संस्थान,चित्तौडगढ
ऽ पी.यू.सी.एल.
रुचियाँ
ऽ हिंदी साहित्य की पत्र पत्रिकाएँ पढ़ना
ऽ सामाजिक मुद्दों पर आधारित बनी फिल्में देखना
ऽ कलापरक आयोजनों में भागीदारी
ऽ फोटोग्राफी
ऽ शास्त्रीय और लोक संगीत सुनना
ऽ घुमक्कड़ी बन यात्राएं करना
ऽ ब्लॉग्गिंग
पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन
ऽ आई टेक न्यूज
ऽ जनोक्ति वेब पत्रिका
ऽ सृजनगाथा वेब पत्रिका
ऽ भड़ास4मीडिया वेब पत्रिका
ऽ हिंदी मीडिया.इन वेब पत्रिका
ऽ रचनाकार ब्लॉग
संपर्क सूत्र
माणिक
संस्कृतिकर्मी
17,शिवलोक कालोनी,संगम मार्ग, चितौडगढ़ (राजस्थान).312001
अपने बारे में मेरे विचार
उन्नीस सौ पिच्चासी से निन्यानवे तक के सफर में सेकंडरी तक गाँव में ही
चिमनी के उजाले में पढाई-लिखाई.सीनियर सेकंडरी पास के कस्बे निम्बाहेडा में
जैसे तैसे पूरी.प्रतिभावान छात्रवती के भरोसे मास्टर बनाने वाला एक
डिप्लोमा चित्तौड़ से ही किया; सांस्कृतिक-साहित्यिक अभिरुचि स्कूली बालसभा
से ही झड़ें पकड़ चुकी थी.बाद में प्राइवेट स्कुल की नौकरी और अर्ध सरकारी
नौकरी के चलते कविताबाजी में दिन निकले.जीवन के कठिन समय के चलते -चलते ही
बी.ए. और बाद में इतिहास में एम्.ए. किया. शुरुआत से अंत तक प्रथम श्रेणी
के अंक लाने की आदत रही है.बोलता कम हूँ,सोचता ज्यादा हूँ. कोलेज के दिनों
में स्पिक मैके जैसे भव्य सांस्कृतिक छात्र आन्दोलन से झुडाव हुआ जो आज तक
बहुत गहरे में पहुँच गया है.विवाहित जीवन के दायित्व निभाते हुए वर्तमान
में चित्तौडगढ में उन्नीस सौ सित्तानवें से रह रहा हूँ.शहर की लगभग सभी
सरकारी -गैर सरकारी संस्थाओं के समसामयिक आयोजनों में सक्रीय भागीदारी रही
है.भीड़ में शामिल होने की आदत और जी हजुरी से दूर रहा हूँ.
वर्ष दो हजार छ से ही आकाशवाणी के चित्तौडगढ केंद्र से बतौर नैमित्तिक
उद्घोषक प्रसारित हो रहा हूँ.खास तौर पर साहित्यिक संस्थाओं से इन दिनों
लगाव बढ़ा है. अपनी माटी वेब पत्रिका के जरिए साथियों के साथ कुछ सृजनात्मक
काम करने का दायित्व निभा रहा हूँ.यदा कदा कविता कर लेता हूँ. बाकी हिंदी
की पत्र पत्रिकाओं में गहरी रूचि रही है.बड़े और परम्परावादी कलाकारों से
मिलने के सहज मौकों को छोड़ता नहीं हूँ . कभी कभार गुरुओं से मिलते वक्त कुछ
सार्थक बातचीत के अंश साथियों के बीच भी बांटता हूँ.पत्र-पत्रिकाओं में छपा
हूँ ,मगर ज्यादा नहीं. अकादमिक तौर पर इतिहास में एम्.ए. और शिक्षा स्नातक
डिग्रीधारी हूँ.बाकी जीवन क्या है समझने का प्रयास कर रहा हूँ.देश भर में
सांस्कृतिक यात्राओं का बहुत शौख रहा है.ठेठ गाँव और नदी-पर्वतों का एकांत
बहुत अच्छा लगता है,जहां अक्सर विचार जन्म लेने में सहूलियत अनुभव करते
हैं.अभी सरकारी अध्यापक हूँ.बाकी कलावादी मित्रों के लिए वक्त निकलाना
अच्छा लगता है.माता-पिता का एकलौता हूँ.कभी कभार अपने गाँव जाता हूँ जो
आनंद और सुकून का जीवंत अनुभव देते हैं.