हथेली पर रखकर,नसीब अपना क्यूँ हर शख्स,मुकद्दर ढूँढ़ता है ! अजीब फ़ितरत है,उस समुन्दर की
जो टकराने के लिए,पत्थर ढूँढ़ता है.
Tiya Rai