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कुछ शेरो शायरी :-  सजन मुरारका


(1)
दास्ताँ
आरजू थी, मोहब्बत का पैगाम लिखेंगे ;
तन्हाई मे कैसे गुजरी रात वो दास्ताँ लिखेंगे !
सजन मुरारका
(2)
पन्हा
निद्राहीन आँखें ,आँखों की पुतलियों मे नींद जागे !
भटकी हुई रुहु की माफीक प्यार की पन्हा मागें |
सजन मुरारका
(3)
अल्फाज
तमाम रातें ख़यालों से सजी हुयी छोटी बढ़ी बातें,
दर्द से गर्क़, दहन से सुर्ख, हर अल्फाज सजा के ;
सजन मुरारका
(4)
अफ़सोस
कत्तल भी हो जायें, रजो-गम नहीं, दीदार तो होता है ,
अफ़सोस किसी दौर का नहीं,यादें दीदार की महफूज है ;
सजन मुरारका
(5)
पर्दा-नशीं
पर्दा-नशीं थे नहीं वह, हुश्न की चर्चा सरे बाजार होती है ;
सरेआम महफील मे उनका जलवा कत्ले-आम मचाता है !
सजन मुरारका
(6)
नफरत
नफरत न होना बुज़दिली की बात नहीं, न है कोई शिकवा वेबफाई से,
मालूम मुझे खोखली दीवाल पर टीका यह बेरुखी का किल्ला वहम से ,
सजन मुरारका
(7)
मोजुदगी
मोजुदगी नहीं, होने का एहसास ही खास है ;
दिल की नजर से देखिये, हम आपके पास है
सजन मुरारका
(8)
बे-वजह
बेवजह कोई बैठे-बिठाये लब पे याद आये ;
याद सताये पर दूर तलक ना हो, दिलवर है |
सजन मुरारका
(9)
पैमाना
हर पैमाने पे ज़िन्दगी बोझ लगे तो मायुसी ही है ;
ज़िन्दगी अलग से ख़ुशनुमा लगे तो ज़िन्दगी है |
सजन मुरारका
(10)
माशुकी
अनकहे जज्ब़ात के हर लफ्जों से प्यार है ;
जज्ब़ात मे बह कर एतवार मे माशुकी है |

(11)
दिल की आवाज़
छोड़ चले गये हो पर दिल से गये नहीं ;
गौर से सुनने से दिल मे हरदम गुनगुनाते |
सजन मुरारका
(12)
शमा
तेरा प्यार शमा बनके मेरी दुनिया रोशन करता है,
ख़्वाब की मानिंद हर वक़्त मेरे दिमाग में रहता है.
सजन मुरारका
(13)
बहकना
लोग सही कहते,इस उम्र मे भी;
बहकते हम गजरे की महक से,
पूछेंगे उनसे जरा,पता तो चले भी,
उम्र का क्या तक़ाज़ा बहकने से ।

(14)
सूरत
पत्थरों को तराश के बनती हसीन मूरत!
दिल को तराश कर सजाई थी तेरी सूरत ।
सजन मुरारका
(15)
एतराज़
मैं तेरे हुश्न के गरूर से नशा किया, एतराज़ न जाने तूने क्यों किया,
तुझ पर एतवार करके, ग़म का, ज़िन्दगी भर दिल पर ज़ख्म लिया,
सजन मुरारका
(16)
नशा
नशा छोडा,तुम छोड़ गई ,सोचते तुम लोटोगी,जो नशा लोटा दिया,
हम पीते नहीं जानम, वक़्त तुम्हारे इन्तज़ार का, यों ही हल्का किया |
सजन मुरारका
(17)
उलहाना
तेरी आँखों से नफ़रत का उलहाना,हर बाज़ी को डुबो दिया
शराब की थी नहीं इतनी औकात,तुम ने ही मदहोश कर दिया,
सजन मुरारका
(18)
तस्वीर
तस्वीर मिटाने से पहले, तस्वीर थामनी होगी ;
वेवफाई बताने से पहले,वफाई जताना है ज़रूरी।
सजन मुरारका
(19)
बिज़ली
बिज़ली सी कोंध जाती, अन्धेरी रात के सन्नाटे मे,
हुस्न का "ज़लवा", ज्वालामुखी सा फ़ुटता मन मे !
सजन मुरारका
(20)
उमीद
उमीदों के बादल उड़ गये, हव़ा ने दिशा बदल दी ,
एक "ना" से उन्होंने पूरी कहानी ही बदल दी ;

(21)

बेज़ान पत्थर
प्यार जताने, पत्थर पर उनके साथ नाम जोड़कर लिखा था,
हमे क्या पता था,बेज़ान पत्थर पर यों क्यों वक्त जाया क़रते,
सजन मुरारका

(22)

पैगाम
कई कई शाम उनके नाम हम ने,कई कई पैगाम लिखे थे,
कसमे ,वादे,इज़हार किया था उम्र भर का साथ निभायेगें।
सजन मुरारका

(23)

आँखों के नूर
क्या जाने क्या बात हुई,गुँजन सारे,बेज़ूवान हुवे ;
आँखों के नूर,अब उनकी आखों मे ही खटकने लगे !
सजन मुरारका

(24)

जिन्दगी
लम्बी जिन्दगी की दुआ जब मुझे मिले
सोच मे भीषण बवंडर आये होले -होले
जिन्दगी अब कांह जीते,यों ही काट रहे
जिसे काटना है,उसे फ़िर लम्बा क्यों खींचे
सजन मुरारका

(25)

ख्वाइस
प्यार होता कियूं ? बात है समझने की,
तभी तो प्यार की ख्वाइस है मेरी भी |
सजन मुरारका

(26)

रोना
तुमको कभी रोना आया नहीं - दर्द से
प्यार "प्यार" नहीं जो गुजरा नहीं दिल से
सजन मुरारका

(27)

तन्हा
तूम ग़ैर की हो जाये तो शकुन पाये हम,
तन्हा होने का दर्द, वो जाने दिल हो जिन में,
सजन मुरारका

(28)

बियोग
बियोग कि आग, बर्फ बनके, चोट पर लगा रही मरहम !
अन्दर पिघल रही बर्फ, अश्क बन, बहती रहती है हरदम |
सजन मुरारका

(29)

"हमदर्द"
दर्द बहूत था दिल में, लेकिन मिला प्यार से
प्यार नहीं, आपका दर्द- "हमदर्द" है, हम से
सजन मुरारका

(30)

हालात
अजीब हालात है, अब हम मयखाने से भी लोटा दिये जाते हैं,
इल्जाम पीनेवालों का,मेरे गम,उन्हें पुरी बोतल से नशा नहीं देता !!

(31)
बे-दिल
दिल नहीं जिन के पास, वह दिल का हल क्या जाने,
मोहब्बत है, इब्बादत है, मौत से डरते नहीं परवाने,
सजन मुरारका
(32)
मायूसी
अश्क दिखता मेरी मायूसी का उनके चहरे पे,
दिल की बात, कहती सब बेजूवान आँखों से,
सजन मुरारका
(33)
यादें
याद को भी दुश्मनी,धधकती रहे हरदम;
कोई भी आंसू न बुझा पाये खुदा कसम |
सजन मुरारका
(34)
इकरार और प्यार
आँखों से जो टपकते अश्क तो बूंद-बूंद से इकरार होता है ;
होंटो पर चमचमाती हंसी, सितारों से रोशन प्यार होता है |
सजन मुरारका
(35)
आशियाना
हद हो गई, बहुत हुवा आशियाना, सोचा उन्हें अब भुला देंगे,
पर जब सामने से गुजर गये, सोचा कल होगा दिन आख़री ;
सजन मुरारका
(36)
हकीकत
हुश्न का सहेरा समझा; बादल समझ इतराये ;
हकीकत मे यह मेरे "जलते" दिल का धुंवा था , !
सजन मुरारका
(37)
लब
लबों पर था नाम तुम्हारा, मेरे लबों पर नाम है तुम्हारा ;
हिफ़ाजत से दिल मे था,हिफ़ाजत से रखने का दिल मेरा !
सजन मुरारका
(38)
महबूब
महबूब को पाकर, ख़ुशी मे ज़िन्दा थे बेमिसाल,
उनको खोकर भी ज़िन्दा हैं लाश सारीका हाल|
सजन मुरारका
(39)
आदत
हर-रोज़ मिलने की आदत से,
न मिलने का यह वीरान सा सफ़र,
ख्वाहिश है,अगर ना मिली तो,
खत्म कर दूँ ज़िन्दगी का सफ़र !
सजन मुरारका
(40)
फरियाद
हम ना रहे, पर हमे याद मे रहने की चाहत है !
फरियाद करेंगे वह किस से, जब दिल टूटता है ,

(41)
औकात
किसी के दर्द को बांटना हो तो,दिल मे उतर कर देखो,
भर के बांहों मे,उसकी आँखों मे खुद की औकात देखो|
सजन मुरारका
(42)
"दर्द"का रिश्ता
तुम्हारी आँखें समझती थीं "दर्द",
मेरा भी एक रिश्ता ऐसा !
तुम्हारी नफ़रत का दर्द,"
दर्द" से मेरा रिश्ता भी एक ऐसा !
सजन मुरारका
(43)
मोहब्बत का पैमाना
मोहब्बत को रब जाना , प्रेम-प्यार को इबादत माना ;
मुस्कराहट पर मर मिटते,हर लहज़ा था मीठा-सुहाना !
सजन मुरारका
(44)
ज़लवा
हुश्न के ज़लवे पर इतना न तुम इतराव !
चमक दो दिन की,वक़्त रहते संभल जाव|
सजन मुरारका
(45)
प्यार का मंज़र!
अफ़साना यह रहता है,हर तरफ़ प्यार का मंज़र दिखा ;
फूलों से लदी हर शाख मे, मोहब्बत का वास्ता दिखा !
सजन मुरारका
(46)
जीने का बहाना
प्यार अगर मिलता तो,जीयें मशगुल होकर.
दर्द मिला, तभी जीते प्यार को याद कर |
सजन मुरारका
(47)
चाहत
मरना चाहे इस लिये,
उनके दिल से गिर गये ;
जिन्दा हूँ की हमें फिर से,
दिल मे ज़गह मिल जाये !
सजन मुरारका
(48)
तोउफा दर्द का!
दर्द को ना देखिये , उल्फत की नज़र से,
स्वीकारा इसको हमने तोउफा समझ आपसे;
सजन मुरारका
(49)
सादगी
सादगी की यह मूरत, फूलों सी मासूमियत का नकाब पहेने है ;
लरज़ता दिल, रंगीनियाँ छुपी सीने के अन्दर, दिलवर मेरा है !
सजन मुरारका
(50)
बेरुखी
खुद की बेरुखी पर,
वह अगर एक बूंद आंसू बहाते,
कसम खुदा की,
हम गम का सागर पी जाते।

(51)
साथ
मरना देखोगी, छुटा जो तुम्हारा हाथ;
तुमने मेरा जीना देखा, देकर मेरा साथ!
सजन मुरारका
(52)
जीने का सहारा
तब रात की तन्हाई में याद करता था!
अब रात की तन्हाई में याद करते हैं,
तब तेरी यादें मेरे जीने का सहारा था!
अब तेरी यादें मेरे जीने का सहारा हैं,
सजन मुरारका
(53)
नज्म
प्यार की नज्म मगर जाने-
क्यूँ लाख कोशिश से भी न लिख पाते हैं ?
लगता है फुल पे मंडराती तितली
पकड़ते-पकड़ते उंगली से छुट जाती है!!

(54)
सादगी
मासूमियत की सादगी से, वह जहेन में फरेब का नश्तर चलाती ,
मुहब्बत की सर्द चट्टानों को पिघला कर आग का समंदर बनाती ;
सजन मुरारका
(55)
वक़त
कहते जो हमारे लिये उनके पास वक़्त नहीं है ;
खोजेंगे हमे,वक़त आने पर,यह हमारा वादा है !
सजन मुरारका
(56)
आरजू
किसी के दिल में पनाह पाये,यह हमारी आरजू है ;
किसी के होंटों की मुस्कुराहट बने यह अरमान है ;
सजन मुरारका
(57)
गजरा
गजरा सजाया आपने मगर;
खुशबू फ़ैली देर तक,
हर दिल मे जंवा सा असर ,
चाहत जवां होती रही दुर तक ।
सजन मुरारका
(58)
इंतज़ार
दिन गुज़ारते उम्मीद से ,रातें गुज़रेगी ख्यालों मे,
रातें नहीं गुजरती ख्यालों से,इंतज़ार के लम्हों मे|
सजन मुरारका
(59)
ज़ख्म
खंज़र से लगा ज़ख्म फिर भी भर जाता;
ज़ुबां से लगा ज़ख़्म कभी भर नहीं पाता|
सजन मुरारका
(60)
चाहत
बड़ी मुद्द्त से चाह थी कोई दिलरुबा मिले;
मिले भी तो सनम,बड़े ही वह बेवफा मिले !
सजन मुरारका
(61)
आसूं
आसूं की बात क्या, ग़म मे ही तो बहते,
ख़ुशी के लम्हों मे भी आंसू निकल आते।
सजन मुरारका
(62)
जज़्बात
मेरे जज़्बात की कद्र कंहा,
हर रोज़ यों ही दम तोड़ते;
परवाह भला उन्हें क्यों,
वह तो मोहब्बत का कारोबार करते।
सजन मुरारका
(63)
मोहब्बत
मोहब्बतकी आयतों को सनम,
ख़ुदा-ऐ पाक का दर्ज़ा दिया |
फिर भी नजरें न हुई इनायत,
हमने ग़म से दामन जोड़ लिया,

(64)
आईना
आईने जैसी नजाकत है हमारी भी सनम,
ठेस हलकी सी लगे तो देर नहीं चटकने में !
सजन मुरारका
(65)
ख्वाब
सोचते हैं, ख्वाब में भी दूर रहेंगे तुम से !
पर नींद नहीं आती बिन तुम्हारे ख्वाब के ,
सजन मुरारका
(66)
गम के आंसू
गम के आंसू पी-पीकर, गम ही हम से पनाह मांगें जालिम !
हमारी दास्ताँ सुन, मयखाने मे प्यालों पर प्याले भरें जाते हैं...!
सजन मुरारका
(67)
शिकवा
यकीनन जीने को जी लेते,महफूज अगर रहें उनके इरादे,
नफरत मे भी डर है,शिकवा करेंगे, हम तब्बजो नहीं देते !!
सजन मुरारका
(68)
" चाँद "
"उनके " हुश्न से उस चाँद को मिलाना ही गैरवाजिब था,
मेरे " चाँद " से बाहर आसमां का खुद ही शरमा गया !
सजन मुरारका
(69)
कातिल
कातिलाना मुस्कान अधरों मे,हंसी,उनके चहरे पर ,
देख हाल हमारा," खुशी"छुपती नहीं,जल्लादी शान ;
सजन मुरारका
(70)
दीवाना
पंखुढ़ियों मे फँस, अदाओं से बेहाल,हो कर परेशान;
दीवाना बन,काँटों के जखम लिये, अश्क भीगे नयन;

(71)
हाल परवाने सा
हाल परवाने सा, शंमा रोशन हुई,
खींचे चले आते,पता अन्जाम मिलन का :
हम तो जीते जी मर गये हैं मजबूर-नाकारा
सांसे चलती आपके साहरे, !!
सजन मुरारका
(72)
भेंट
भेंट क्या करें तुम को फूलों का गुलिस्ता या खिलते गुलाब की कली
तोहींन हमारी,खुद गुलिस्ता या खुद गुलाब है जो,वही उन्हें देने की...
सजन मुरारका
(73)
तन्हाई की रात
अकेला सा महसूस करता तन्हाई रातों मे,
याद तुम्हे कर लेता हूँ;
हर लम्हा खुद-ब-खुद आबाद होता,
हुजूम निकलता लाखों चाँद-सितारों का|
सजन मुरारका
(74)
परछाई
फुर्सत नहीं,जरुरत नहीं, न इमान भी,
किसी और को पाने की ;
तुम रहते हो हरवक्त साथ,
देख लेते हैं तुम्हे अपनी परछाई मे,
सजन मुरारका
(75)
दर्द
बंद कर लेते अपने होंट,
मगर दिल से दर्द है निकला ;
खुदा का शुक्र है !
अभी तल्लक मेरा जनाजा न निकला |
सजन मुरारका
(76)
हुश्न

पर्दा-नशीं थे नहीं वह,
हुश्न की चर्चा सरे बाजार होती है ;
सरेआम महफील मे,
उनका जलवा कत्ले-आम मचाता है !
सजन मुरारका
(77)
मासूमियत
मासूमियत की सादगी से, वह जहेन में,
फरेब का नश्तर चलाती ,
मुहब्बत की सर्द चट्टानों को पिघला कर.
आग का समंदर बनाती ;
सजन मुरारका
(78)
यादे
कितने अर्स काबीज रखेगी वह जिद्द,
खुद के बेकाबू दिल की धढ़कन पे ,
हमारी भी जिद्द है, मरते दम तक,
यों ही धढ़के- यादे बन उन के दिल मे |
सजन मुरारका
(79)
दीदार
कत्तल भी हो जायें, रजो-गम नहीं, दीदार तो होता है ,
अफ़सोस किसी भी दौर का नहीं,यादें दीदार की महफूज है ;
सजन मुरारका
(80)
शोख़ी
मेरे दिलवर की शोख़ी,खिलती कलियों की नक्श- पहचान है,
रहम-ऐ-अदब का तकाजा, उनकी सादगी कलियों को बख्शा है ;

(81)
टुटा दिल
कभी किसी का दिल
दियो ना अकारण दुखाय ,
मन टूटे एक बार,
लाख यत्न करे जुड़ न पाय,

सजन मुरारका
(82)
दिल ने लिखा
समुन्दर की रेत पर लिखा,
लहरें आई और धो गई;
रेत का दोष इसमे कैसे,
दिल ने ग़लत जगह लिख था।
सजन मुरारका
(83)
मिलन
मिलके,ज़ुदा हो गये खुदसे,
हुस्नसे नहीं,तुमसे था प्यार;
दिल ने कहा वेवफा दिल से
अभी तो बाकी है दीदार !
सजन मुरारका
(84)
दिल की कहानी
प्यारके हर पल मे,
उनकी कहानी लिखी थी;
दिल के कागज़ पर,
पुरी ज़िन्दगानी लिखी थी,
सजन मुरारका
(85)
साथ बीते पल
वह लम्हा खोना नहीं चाहते
जब तुम्हारा साथ था ;
यह लम्हा जीना नहीं चाहते
जब तुम्हारा साथ छुटा !
सजन मुरारका
(86)
नज़र
नज़र मिले,नज़रें बचाकर,
नज़रें चुराकर करे इशारा,
नज़रें उठाये,नज़रें गिराये,
नज़रोंसे प्यार क खेल सारा;
सजन मुरारका
(87)
नजदीकीयां !
नजदीकीयां दिल कि,
दिल का हिस्सा बनी|
दिल से चाहे हटाना,
दिल को होगा मिटाना|
सजन मुरारका
(88)
तस्वीर
आईना तोड़े भी तो, ज़रे-ज़रे मे उनकी तस्वीर का दीदार है;
ख़ुश्बू उनकी सासों मे बस गई,फूलों से अब क्या सरोकार है ,
सजन मुरारका
(89)
ख़िलाफ़त
मायुसी के गम मे,दिमाग़ जब भी उनके ख़िलाफ़ जाता;
दिल बड़ा बेईमान,ज़ेहन ने पुरज़ोर उनकी ही की हिमायत.
सजन मुरारक
(90)
हिमाक़त
यह जज़्बात मेरे दिल मे सदा रहते,प्यार मुझे उनसे था ;
उनकी बेरुखी से ही मैंने शायरी करने की हिमाक़त की है .

 

 


सजन मुरारका

 

 

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