हालात ऐसे आज हैं, कि सब, शब में समाए हैं
देखे सहर मुद्दत बिता, सुबह भी निकले तारे हैं
जानते हैं सभी मौत आनी मगर
मौत से आज सारे दहल हैं रहे
रह्'मतों से ख़ुदा की मिले मुहब्बत
ये रिवायत है तुमने बदल दिया है
आज नौबत जहाँ का हुआ है ऐसा
मार के ख़ुद को हमने यहाँ जिया है