फिर वही तन्हाई का आलम फिर वही रंजो गम की राते, ना जाने किस्मत हमसे क्यों रूठ जाती है खुशियों के पास आते-आते.....।
गुजर गए वो जमाने लेकिन निशानिया अब भी बाकी है... ईस दिल के किसी कोने में तेरा आशियाना अब भी बाकी है....।