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Rajesh Jaiswara

 

आईने में अब तो अपना अक्श भी अन्जान लगता है...

 जहाँ होती थी कभी प्यार और खुशियों की बारिश,

 'राज' वो घर,अब घर नहीँ, श्मशान लगता है......

 

 

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