ना समझना कभी कि तुझे भूल पाऊँगा, हाँ, ये अलग बात है कि ना कह पाऊँगा, तू लौ मेरी, रोशनी है सभी , तेरे दम से, बुझ गया चिराग तो मैं क्या कहलाऊँगा ।
' रवीन्द्र '