www.swargvibha.in






चिराग़

 

 

ना समझना कभी कि तुझे भूल पाऊँगा,
हाँ, ये अलग बात है कि ना कह पाऊँगा,
तू लौ मेरी, रोशनी है सभी , तेरे दम से,
बुझ गया चिराग तो मैं क्या कहलाऊँगा ।

 

 

 

' रवीन्द्र '

 

 

 

HTML Comment Box is loading comments...
 

 

Free Web Hosting