छंद सलिला:
एकावली छंद
संजीव
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(अब तक प्रस्तुत छंद: अग्र, अचल, अचल धृति, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा,
उपेन्द्रवज्रा, एकावली, कीर्ति, घनाक्षरी, छवि, तांडव, तोमर, दीप, दोधक,
निधि, प्रेमा, मधुभार ,माला, लीला, वाणी, शक्तिपूजा, शाला, शिव, शुभगति,
सार, सुगति, सुजान, हंसी)
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दस मात्रिक एकावली छंद के हर चरण में ५-५ मात्राओं पर यति होती है.
उदाहरण :
१. नहीं सर झुकाना, नहीं पथ भुलाना
गिरे को उठाना, गले से लगाना
न तन को सजाना, न मन को भुलाना
न खुद को लुभाना, न धन ही जुटाना
२. हरि भजन कीजिए, नित नमन कीजिए
निज वतन पूजिए, फ़र्ज़ मत भूलिए
मरुथली भूमियों को, चमन कीजिए
भाव से भीगिए, भक्ति पर रीझिए
३. कर प्रीत, गढ़ रीत / लें जीत मन मीत
नव गीत नव नीत, मन हार मन जीत
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संजीव ‘सलिल’