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हास्य कुंडलियाँ

 

 

होली खेलन के लिए,आए देश बराक।
खाई थोड़ी भंग जो,सूझा उन्हें मजाक।
सूझा उन्हें मजाक,करीना से यूँ बोले।
खेलूँ तुमसे रंग,हमारा मनवा डोले।
दिखा नीलमी नैन,करीना हँसकर बोली।
देखो अपना रंग,व्यर्थ मत कर तू होली॥

 


पिचकारी लेकर नमो,भरकर जेब गुलाल।
उर में नव उल्लास है,बहकी-बहकी चाल।
बहकी-बहकी चाल,कहें राहुल की माता।
बाहर आओ आज,शक्ति अपनी दिखलाता।
तन-मन तेरा रंग,मैं हो जाऊँ सुखारी।
सुनो विदेशी नार,लिए देशी पिचकारी॥

 

 



पीयूष कुमार द्विवेदी 'पूतू'

 

 

 

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