वाणी पावन लक्ष्मी, माँ हम सबको आस.
हृदपंकज सारे खिलें, हृदयस्थल हो वास.
हृदयस्थल हो वास, हृदय से तम हर लेना.
करना जग कल्याण, बुद्धि जन-जन को देना.
कमलासन शुचि बैठ, कृपा कर दो कल्याणी.
भारत माँ का भाग्य, जगा दो माता वाणी..
--इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'