www.swargvibha.in






प्रभाती (उड़ियाना) छंद

 

 

 

संजीव
*
छंद-लक्षण: जाति महारौद्र , प्रति चरण मात्रा २२ मात्रा, यति १२ - १०, चरणान्त गुरु (यगण, मगण, रगण, सगण, ) ।
लक्षण छंद:
राग मिल प्रभाती फ़िर / झूम-झूम गाया

 

बारहमासा सुन- दस / दिश नभ मुस्काया

चरण-अन्त गुरु ने गुर / हँसकर बतलाया

तज विराम पूर्णकाम / कर्मपथ दिखाया

 

 

उदाहरण:
१. गौरा ने बौराकर / बौरा को हेरा

बौराये अमुआ पर / कोयल ने टेरा

मधुकर ने कलियों को, जी भर भरमाया

सारिका की गली लगा / शुक का पगफेरा

 

२. प्रिय आये घर- अँगना / खुशियों से चहका

मन-मयूर नाच उठा / महुआ ज्यों महका

गाल पर गुलाल लाल / लाज ने लगाया

पलकों ने अँखियों पर / पहरा बिठलाया

कँगना भी खनक-खनक / गीत गुनगुनाये

बासंती मौसम में / कोयलिया गाये

करधन कर-धन के सँग लिपट/लिपट जाए

उलझी लट अनबोली / बोल खिलखिलाये




३. राम-राम सिया जपे / श्याम-श्याम राधा

साँवरें ने भक्तों की / काटी हर बाधा

हरि ही हैं राम-कृष्ण / शिव जी को पूजें

सत-चित-आनंद त्रयी / जग ने आराधा

कंकर-कंकरवासी / गिरिजा मस्जिद में

जिसको जो रूप रुचा / उसने वह साधा

*********

 

 

(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अरुण, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उड़ियाना, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, कुकुभ, कज्जल, कामिनीमोहन, कीर्ति, कुण्डल, कुडंली, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, चंद्रायण, छवि, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दीप, दीपकी, दोधक, नित, निधि, प्लवंगम्, प्रतिभा, प्रदोष, प्रभाती, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनअवतार, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, योग, ऋद्धि, राजीव, राधिका, रामा, लीला, वाणी, विशेषिका, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुभगति, सरस, सार, सिद्धि, सुगति, सुजान, हेमंत, हंसगति, हंसी)

 

।। हिंदी आटा माढ़िये, उर्दू मोयन डाल । 'सलिल' संस्कृत सान दे, पूरी बने कमाल ।।

।। जन्म ब्याह राखी तिलक, गृह प्रवेश त्यौहार । हर अवसर पर दे 'सलिल', पुस्तक ही उपहार ।।

।। नीर बचा, पौधे लगा, मित्र घटायें शोर । कचरे का उपयोग कर उजली करिए भोर ।।"

 

 

 

 

संजीव ‘सलिल’  

 

 

 

HTML Comment Box is loading comments...
 

 

Free Web Hosting