छंद सलिला :
प्रेमा छंद
संजीव
*
इस द्विपदीय, चार चरणीय छंद में प्रथम, द्वितीय तथा चतुर्थ चरण उपेन्द्र वज्रा (१२१ २२१ १२१ २२) तथा तृतीय चरण इंद्रा वज्रा (२२१ २२१ १२१ २२) छंद में होते हैं. ४४ वर्ण वृत्त के इस छंद में ६९ मात्राएँ होती हैं.
उदाहरण:
१. मिलो-जुलो तो हमको तुम्हारे, हसीन वादे-कसमें लुभायें
देखो नज़ारे चुप हो सितारों, हमें बहारें नगमे सुनायें
२. कहो कहानी कविता रुबाई, लिखो वही जो दिल से कहा हो
देना हमेशा प्रिय को सलाहें, सदा वही जो खुद भी सहा हो
३. खिला कचौड़ी चटनी मिठाई, मुझे दिला दे कुछ तो खिलौने
मेला लगा है चल घूम आयें, बना न बातें भरमा नहीं रे!
संजीव ‘सलिल’