पहले इन्कार था, अब इक़रार है, राजनीति की अब, ना दरकार है, यकायक आया, अपनों पे प्यार है, जैविक ही सही, पुत्र तो स्वीकार है ।
पिता और पुत्र दोनों को 'सत्यमेव जयते' की बधाई,
' रवीन्द्र '