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सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं

 

 

 

हेमलता,


स्नेह!

 

 


परिणय सूत्र बंधन की बधाई। मंगल शुभकामनाऐं, अखंड सौभाग्यवती भव। तुम दोनों के सुखी दीर्घ सम्पन्न स्थायी शांतिपूर्ण संतोषपूर्ण स्वस्थ जीवन के लिए दिलीप अंकल की दिल से शुभ भावनाऐं। जीवन साथी अनमोल गहना होता है। प्रेम, स्नेह, प्यार के साथ सामंजस्य, समझौता, एकता, संवाद, सहयोग की भी आवश्यकता है। सात फेरों के सात वचनों की गहराई समझना, मिल जुल कर रहना, ससुराल गेंदा फूल में सबको आदर सम्मान स्नेह देना, 25 वर्ष जिस पितृगह में रही हो, उनसे भी सम्पर्क बनाए रखना। समय का संतुलन प्रत्येक कत्र्तव्य के लिए आवश्यक है, स्वयं को भी आत्मनिर्भरता हेतु समय देना अनिवार्य है।


बचपन तुम्हारा सुहाना रहा, मम्मी की ममता, पापा का अनुशासन, दादी का लाड़, भाई की सुरक्षा, बहन से सहयोग, शिक्षिकाओं से ज्ञान, सखी सहेलियों से मनोरंजन, नाते रिश्तों से जुड़ाव, अंकल आंटियों से औपचारिकता के साथ तुमने एम.ए. के साथ बी.एड. भी किया। प्राइवेट स्कूल में नौकरी, घर में बच्चों को ट्यूशन, मम्मी से रसोई में प्रशिक्षण, मध्यम वर्ग घर की आर्थिक व्यवस्था को संतुलित रखने हेतु रात्रि में दो तीन बजे तक सिलाई मशीन पर आंखें खराब करती मम्मी को सहयोग इत्यादि से तुम्हारे जीवन की नीव भी मजबूत रही। सच्चरित्र की सम्पत्ति तुम्हारे पास है ही। स्थायी नौकरी हेतु कई प्रतियोगी परीक्षाऐं भी दीं, पर अनुकूल परिणाम नहीं आने के कारण तुम्हें स्वयं ही ज्ञात हैं, दो नावों पर एक साथ सवारी, पर्याप्त समय संतुलन नहीं रख पाना, विशेषज्ञों से सम्पर्क करने में संकोच, अतिविश्वास तुम्हारी कुछ कमजोरियां रहीं, समय समय पर मेरे इशारों को तुमने गम्भीरता से नहीं लिया एवं आज भी तुम अस्थायी नौकरी के विकल्प तलाश नहीं कर पा रही हो।


सुबह का भूला शाम को घर लौट आए, तो उसे भूला हुआ नहीं कहते, जब जागो तभी सवेरा, आत्मविश्लेषण कर सुधार करना होगा। मम्मी पापा द्वारा प्रायोजित विवाह के कारण पीहर के द्वार तुम्हारे लिए खुले हैं ही, मोबाइल के सदुपयोग से अपनों से सम्पर्क बनाए रखना भी संभव है ही, अब तो जीवन साथी से भी मंथन एवं विचार विमर्श संभव है, ससुराल महानगर में होने के कारण विशेषज्ञों के ज्ञान अनुभव से लाभ उठाना भी संभव है। विवाह से पूर्व जीवन साथी ने उच्च शिक्षा एवं आत्मनिर्भरता की अनुमति दी ही थी, आवश्यकता मात्र है तुम्हारे स्वयं के आत्मविश्वास, दृढ़ संकल्प, अनुशासन, नियमितता, समय नियोजन की, जीवन में सफलता के साथ सार्थकता लाना तुम्हारे स्वयं के हाथ में है।


मेरी पुस्तकें समय, जीवन, कैरियर एवं दीपक भी तुमने पढ़ी हैं, लेकिन क्षमा करना तुम उन्हें जीवन में उतार नहीं पाईं। एक अच्छे कैरियर के लिए सभी उपाय मैंने अपने अल्प ज्ञान एवं अनुभव से अपनी पुस्तकों मंे लिखे हैं, देश के हर कोने से बच्चे फोन पर भी मुझसे समस्याऐं बतलाकर सकारात्मक परिणाम भी प्राप्त कर रहे हैं, यह सब तुम जानती हो, मेरा जीवन खुली किताब है, जीवन के आंधी तूफानों में भी मैंने कागज़ कलम के दीपक को प्रज्वलित रखने का प्रयास किया है। टीना कम्प्यूटर का प्रवीण मुझे मेरे विचार देश के लाखों बच्चों तक पहुंचाने में सहयोग दे रहा है। मैं, सुदामा तो उसके जन्म-दिन पर भी मात्र हाथ मिलाने भर की ही औपचारिकता निभा पाता हूँ। डाॅक्टर की दवा अलमारी में रखने मात्र से हम स्वस्थ नहीं हो सकते, दवा भी लेनी होगी एवं परहेज भी करने होंगे।


परीक्षा में सफलता हेतु मुझ दिलीप अंकल के पास दो ही दवाऐं हैं, पढ़ने के साथ खूब लिखना एवं परीक्षा से पूर्व घर पर नियम समय में माॅडल पेपर हल करना। हाँ, साथ में दो परहेज भी तो हैं, पढ़ते समय टी.वी. एवं मोबाइल स्विच आॅफ यानी बन्द रखना। 10-12 घंटों तक किताबों को आंखों के समक्ष रखने की आवश्यकता नहीं है। प्रातःकाल स्वर्णिम समय होता है, ससुराल के प्राणियों एवं पति परमेश्वर की सेवा करने हेतु 24 घंटे भी कम पडे़ंगे पर घंटे तो 24 ही हैं एवं पत्नी, बहू, बेटी की भूमिकाओं के साथ स्वयं हेमलता के लिए भी तीन चार घंटे निकालना असंभव नहीं है। प्रयास तो करो, यात्रा कितनी भी लम्बी हो, पहला कदम तो उठाना ही होगा।


आवश्यक हो तो, सम्पर्क कर सकती हो, मेरे द्वार तुम्हारे लिए सदैव खुले रहे थे, हैं व रहेंगे। सत्य के मार्ग पर चलोगी, तो हर स्थिति का साहस से सामना कर सकोगी। सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं। पूरा जीवन एक परीक्षा है, पर हर इंसान का प्रश्न पत्र भिन्न है, आत्मनिर्भरता, गुणवत्ता जीवन के लिए आवश्यक है। अंधेरा है, पर दीपक जलाना तो हमारे हाथ में है ही। पीहर के संस्कार, शिक्षा, चरित्र, अनुशासन के दहेज के साथ तुम्हें भीगी पलकों से स्वजनों ने विदाई दी है। एक अच्छे जीवन की शुभ कामना के साथ, इस स्थायी दहेज का मूल्य अनमोल है, तुम्हारा विश्वास, भरोसा है, चिन्ता मत करना, इस पत्र पर चिन्तन करना, दिलीप अंकल तुम्हारे साथ हैं ही। सफलता के साथ सार्थकता, बड़े के साथ अच्छा होना, एक अच्छी इन्सान बने रहने - इन सब प्रयासों से जीवन की हर परीक्षा में तुम स्वर्ण पदक प्राप्त करो, बस, दिलीप की दिल से यही प्रार्थना है। सस्नेह -

 


शुभाकांक्षी

 


दिलीप अंकल

 

 

DILEEP BHATIA

 

 

 

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