www.swargvibha.in






शाला छंद

 

 

छंद सलिला:

शाला छंद

संजीव
*
(अब तक प्रस्तुत छंद: अग्र, अचल, अचल धृति, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रा वज्रा, उपेन्द्र वज्रा, कीर्ति, घनाक्षरी, प्रेमा, वाणी, शक्तिपूजा, सार, माला)

 

शाला छंद में २ पद, ४ चरण, ४४ वर्ण तथा ७१ मात्राएँ होती हैं. प्रथम-द्वितीय-चौथे चरण में २ तगण १ जगण २ गुरु तथा तृतीय-चरण में जगण तगण जगण २ गुरु मात्राएँ होती हैं.
शाला दे आनंद, इंद्रा तीसरे चरण में
हो उपेन्द्र शुभ छंद, चरण एक दो तीन में

 


उदाहरण:

१. जा पाठशाला कर लो पढ़ाई, भूलो न सीखा तब हो बड़ाई
पढ़ो-लिखो जो वह आजमाओ, छोडो अधूरा मत पाठ भाई

 

२. बोलो, न बोलो मत राज खोलो, चाहो न चाहो पर साथ हो लो
करो न कोई रुसवा किसी को, सच्चा कहो या मत झूठ बोलो

 

३. बाती मिलाओ मन साथ पाओ, वादा निभाओ फिर मुस्कुराओ
बसा दिलों में दिल आप दोनों, सदा दिवाली मिल के मनाओ
-----------------------

 

संजीव ‘सलिल’

 

 

HTML Comment Box is loading comments...
 

 

Free Web Hosting