1 - काँटों का सफ़र है ,जमाना अपना ,
जहां मिलता है दर्द ,मरता है सपना।
2 - आज मेरे आसमान पर,
फिर सूरज चमका था ,
वाह रे अपनी जहां वालो
तुम्हारा तेग चल गया था।
3 - ये खुदा दुश्मनो की तरक्की से,
गिला-शिकवा नहीं है मुझे ,
बस इतनी दया करना
मेरे आसमान को महफूज़ रखना उनसे ।
4 - ये खुद हमारा भी ख्याल रखना ,
यकीं बस तुम्हारी हुकूमत पर है ,
अपनी जहां का क्या बयां करूँ
यहाँ नसीब पर डाके ,पग-पग पर डर है।